अंगनाई का नीम हमारा दिखता रूढ़ा रूढ़ा था
एक गुलामी एक आज़ादी , कितने मौसम देखे थे
बाबा के संदूक में ज्यों , कईं पुराने लेखे थे
नीम के नीचे पंछी थे और, दानो का अम्बार लगा
सारे मिलकर चुगते थे, भगवन का दरबार सजा
लकड़ी सबकी, पत्ती सबकी और निबौली सबकी थी
उसकी छाँव में घुलती मिलती , बानी बोली सबकी थी
शाम पड़े गय्या का खूंटा, संजा गरबे नीम तले
दादी की तस्बीह के दाने, और तक़रीरें यहाँ पले
रामशरण या गुरुचरण हो सबकी पट्टी यहीं पुजी
मीरां की आवाज़ भी गूंजी, श्याम की बंसी यहीं बजी
सबसे पहले चूल्हा गढ़ कर दादी दाल पकाती थी
गाँव की सारी बुढ़ीयें मिल कर रोटी सेंकने आती थीं
इसका उसका, मेरा तेरा चूल्हा सबका अपना था
हरियाता चढ़ता यौवन को, नीम भी सबका अपना था
धूप हवा और पानी पंछी जैसे अपने सबके थे
पीर का हलवा सबका था और ठाकुर जी भी सबके थे
कौन है कौनसे दीन धरम का फाग में ढूंढना मुश्किल था
गोरों के आने के पहले , राग ये ढूंढना मुश्किल था
न कोईं राजा, न कोईं परजा, न कोइ पहरेदार ही था
न तो सियासत बिकती थी न नेता कोई खरीदार ही था
हिन्दू मुस्लिम कहाँ हमारे मुल्क में इन्सां बसते थे
-लोरी अली
23 टिप्पणियां:
nice expression .happy independence day
सबने जीभर लूट लिया है, जो भी सुख था, हम दोनों में,
मन की गहरी टीस अभी भी, शेष रहा जो, हम दोनों में।
Once upon a time.....
D
aakar gaya hoon yaar! guzaraa nahee hoon mai
is berukhee ke baa'wajood, mara nahee hoon mai!
pyara likha hai.....
Bahut umda!
बात ये तब की है जब हम सब साथ में रोते हंसते थे
हिन्दू मुस्लिम कहाँ हमारे मुल्क में इन्सां बसते थे
बहुत ही अच्छा लिखा है..... आज इंसानियत का भाव बदला है तो सब बदल गया है
सौहार्द्य की फीलिंग्स बतौर सब ठीक ठाक है पर आपने शहराती माहौल वाले नीम का फोटो चेंप दिया है सो नीम के इर्द गिर्द ऑटो , बिल्डिंग्स , भीड़ भाड़ वगैरह वगैरह आपके गीत वाले आर्केस्ट्रा को बेताला कर रहे हैं :)
ना जाने क्यों फिल्म आँखे के इस गाने की पहली लाइन का ख्याल आ रहा है "शेख बरहमन मुल्ला पाण्डे सब हैं इक माटी के भांडे"
lo ji, aap kitti der se aaye!
yahaa raah dekhte dekhte hi rah gayee mai!
ab idhar rakhsha-Bandhan bhi man chuka hai, aur aapne us mahfil me shirkat nahi ki.
aapki salah par neem badal dungi, ek to fotu nahi mil raha Neem ka!
rakhi mubarak!
http://meourmeriaavaaragee.blogspot.in/2013/08/blog-post_20.html
shukriya!
rakhi ki mubarakbaad
:)
Rakhi Mubarak !
http://meourmeriaavaaragee.blogspot.in/2013/08/blog-post_20.html
sahi hai!
thnx shalini. :)
आइन्दा से कोशिश करूँगा कि महफ़िलों में वक़्त पे शामिल हो जाया करूँ :)
(सेशन की शुरुवात है सो एडमीशन की प्रोसेस ने बेहाल कर रखा है)
rakhi nayee post par aap nhi hain...:(
राखी तक तो पहुंच गया भाई :)
:) shukriya......
सुन्दर अल्फाजो से सजे बिछड़े राग ........
वाह. बहुत खूब
wow..amazing lines and itouching emotions
शुक्रिया जी
शुक्रिया जी
एक टिप्पणी भेजें