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रविवार, 23 अगस्त 2020

क्षमा

 क्षमा 

क्षमा क्षमा प्रियवर

आत्मीय, वंदनीय क्षमा ! 

हर दुर्बलता वश हुए पाप पर 

हर झूठ, हर द्वंद, हर कलाप पर 

हर युद्ध, हर वध, हर प्रपंच छल पर 

हर दीनता, हर विवश हल पर 


क्षमा करना हे आत्मीय मुझको 

कि जन्म मानव का मिला है 

दानव कर्म भी करने होंगे 

पाप और पुण्य से आगे 

मुझको  कुछ कर भरने होंगे 


कच्ची मिट्टी का घट हूँ 

ईश्वर की कमज़ोर कृति हूँ 

भारी मन से क्षमा दिवस पर

प्रिये! तुम्हारे समक्ष नति हूँ 


क्षमा दान दे कर के मुझको 

तुम भी अपने कर्म सजा लो 

एक तनिक सी भिक्षा देकर 

तुम अमरों का लोक ही पा लो 

           डॉ सेहबा जाफ़री🙏🙏🙏🙏 (उत्तम क्षमा)

मंगलवार, 11 अगस्त 2020

जन्मदिन मुबारक कान्हां

 



नंदनबन में बारिश है  और कान्हां हमसे रूठे हैं  

इश्क़ रुतों में, मुश्क़ हवा में, हम ही टूटे टूटे हैं

 

शबनम, गुंचे, भंवरे, खुश्बू, हल्दी मेहंदी और लाली

क्या बतलाऊं तुम जो नहीं तो मुझसे क्या क्या छूटे है

 

गैया, गुंजा, गलियां, गोकुल सबको मिला है इश्क़ तेरा

मैं तो हूं तक़दीर से राधा, मेरे क़िस्मत फूटे हैं

 

पूरा गोकुल लिये खड़ा है तेरी शिकायत की अर्ज़ी

ख़फ़गी के आलम में यशोदा धान फ़सल को कूटे है

 

बात ज़ुबां पर आ जाती तो क्या ही अच्छा था

ऐसी बेमतलब ख़ामोशी, जान जिस्म से छूटे है

 

तुम तो एक मुरलिया थामें निकल पड़े बस्ती बन में

तुम क्या जानो इसकी ताने किसका क्या क्या लूटे है

लोरी


मंगलवार, 10 मार्च 2020

वर्तमान समय एवं मीडिया की प्रासंगिकता

सुनते हैं बडी तरक्की कर ली है हमने! सभी कुछ आधुनिक हो गया है। भक् भक् कर  जलती बत्तियाँ, पिटर पिटर कर मटकती थिरकती परियाँ, सुंदर आलीशान इमारतें, उनके पोर्टिको मे खड़ी बडी बडी गाड़ियाँ! कम्प्युटर, रोबोट, ढेर सी मशीनें। बहुत सा समय बचने लगा है अब पास मे! खूब सी आसान ज़िंदगी मे अब खुद के लिए संजोने का खूब सा वक्त जुटाया जा सकता है।

पहले जिन खबरों को जानने समझने के लिए घर से दूर घोटूल तक जाना पड़ता था अब वही खबरे एक क्लिक पर खुद घर पर आ जाती हैं! सब मीडिया की कृपा है! कितना कुछ सीख गए हैं हम सब!!

बच्चे सीख गए हैँ बडी बडी बाते!  दूध के दांत टूटने से पहले याद हो जाती हैं उन्हें "बॉय फ्रेन्ड, और गर्ल फ्रेन्ड की परिभाषा। बडी बडी स्पेलिंग से पहले सीख जाते हैं वे सास बहू के सीरियल की खुरफातें!  मैकेनिकल लैब से ज्यादा भरोसा होता है उन्हें नागिन के सीरियल के चमत्कारों पर! वोट देने की उम्र से पहले वे सीख जाते हैं कि उनके मां पिता किस पार्टी के हैं और आगे उन्हें किस  पार्टि का सहयोग देना है!!
            भला हो मीडिया का! बच्चे सयाने कर दिये हैं इसने! वे जानने लगे हैं, "मिड लाइफ क्राइसेज़,  मैरिड लाइफ, क्राईसेज़ और डिफ्रेंट सेक्सुअल प्लेज़र के बारे मे। उन्हें पता है  अनचाहे गर्भ से कैसे छुटकारा पाते हैं! और क्या करने से लडकी प्रेग्नेंट नही होती!! (एक हम लोग बुद्धू थे, कुछ अता था न पता!)

    उन्हे नही चाहिए शिक्षक! सारे नोट्स तो अपलोड हैँ नेट पर;!! वे समझते हैं हिन्दू, मुस्लिम,  जात पात, शादी ब्याह, देश विदेश, डाईनोसोर और  पुरातन मानव! मीडिया सब बता रहा है उन्हे!!

  चार साल की बच्ची को भी समझ आने लगा है कि लड़की होने के नाते उसका खूबसूरत दिखना कितना आवश्यक है! और ८ साल का लड़का भी समझ चुका है कि  श्रम के चक्कर में पड़े बगैर कौनसा रसायन खा कर अपने बाज़ू २२ के करने है।

सब मीडिया की ही कृपा है  बच्चा गर्भ मे ही बड़े बड़े ज्ञान सीख जाता है वह भी अतिशयोक्ति अलंकार समेत! वरना माँ के भरोसे रहे  अभिमन्यू बस चक्रव्यू मे जाना ही सीखे थे, गूगल किया होता तो  वापस आना भी सीख जाते!

       कभी कभी तो मीडिया अ नव रत सिखा ए  चला जाता है,इतना कि तो हम यह भी भू ल जाते हैं कि क्या सीख ने निकले थे औ क्या ही सीख गए हैं। अभी कल का ही लो एक न्यू ज़ चै नल पर दो  राजनैतिक दलों की बहस चल रही थी विपक्षी दल ने अन्य दल पर वाक प्रहार किया, "आपने चूड़ियाँ पहन रखी थीं" देश, विकास, सड़क, परिवहन, शिक्षा, बेरोज़गार युवा , गरीबी और  बड़े बड़े सरकार पलटने वाले मुद्दे एक तरफ!  और चूड़ियों का राग एक तरफ! वह नाच चला कि श्रीदेवी के नौ नौ चूड़ियों के नाच भी शरमा जायें!  पब्लिक यह भी भूल गई कि वह यह बैठी क्यों थी!! और मै यह भूल  गई कि मैंने tv क्यों चलाया था! 
     धन्य धन्य है मीडिया! बच्चों को आखिरकार सिखा ही देता है कि स्याह को सफेद और सफ़ेद को स्याह कैसे बताते हैँ! मीडिया बताता है कि चाटुकारिता यदि  एक पंखे की भी करनी हो तो उसकी हवा के वेग को इतना तेज़ बता दो कि पलायन वेग भी शर्मा जाये!!!
 मीडिया ने ही तो समझाया है ब्लू व्हाल खेलो, फेस् बुक चलाओ, पोर्न देखो, ओन लाइन शॉपिंग करो, खुश रहो! बेवकूफ सनकी बुढे राजनिति के लिए हैं, रिटायर्ड प्रोफेसर्स  अनुसंधान करेंगे,  और गणित के नये आयाम तलाश करने के लिए उन मुल्कों के बच्चे हैं, जहाँ मीडिया नही होता!!