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बुधवार, 14 अगस्त 2013

आज़ादी और नीम

                         

अम्मा के हाथों पनपा और  देस के जितना बूढा था
अंगनाई का नीम हमारा  दिखता  रूढ़ा  रूढ़ा  था  

एक गुलामी एक आज़ादी , कितने  मौसम देखे थे 
 बाबा के संदूक में ज्यों , कईं पुराने लेखे थे 

नीम के नीचे पंछी थे और, दानो का अम्बार  लगा 
सारे मिलकर चुगते थे,  भगवन  का दरबार सजा 

लकड़ी सबकी, पत्ती सबकी और निबौली सबकी थी 
 उसकी छाँव में घुलती मिलती , बानी बोली सबकी थी 

शाम  पड़े गय्या का  खूंटा, संजा गरबे नीम तले 
दादी की तस्बीह के दाने, और तक़रीरें  यहाँ पले 

रामशरण या गुरुचरण हो सबकी पट्टी यहीं  पुजी 
मीरां  की आवाज़ भी गूंजी, श्याम की बंसी यहीं बजी 

सबसे पहले चूल्हा गढ़ कर  दादी दाल पकाती थी 
गाँव की सारी बुढ़ीयें मिल कर रोटी सेंकने आती थीं

इसका उसका, मेरा तेरा चूल्हा सबका अपना था 
हरियाता  चढ़ता यौवन को,  नीम भी सबका अपना था

धूप  हवा और पानी पंछी  जैसे अपने सबके थे 
पीर का हलवा सबका था और ठाकुर जी भी सबके थे

कौन है कौनसे दीन धरम का फाग  में ढूंढना मुश्किल था 
गोरों के आने के पहले , राग ये ढूंढना मुश्किल था

न कोईं राजा, न कोईं  परजा, न कोइ पहरेदार ही था 
न तो सियासत बिकती थी न नेता कोई खरीदार ही था  

 बात ये तब की है जब हम सब साथ में रोते हंसते थे 
हिन्दू मुस्लिम कहाँ हमारे  मुल्क में इन्सां  बसते थे 
                                                                  
                                                           -लोरी अली 



23 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

nice expression .happy independence day

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सबने जीभर लूट लिया है, जो भी सुख था, हम दोनों में,
मन की गहरी टीस अभी भी, शेष रहा जो, हम दोनों में।

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

Once upon a time.....
D

zindgi ने कहा…

aakar gaya hoon yaar! guzaraa nahee hoon mai
is berukhee ke baa'wajood, mara nahee hoon mai!
pyara likha hai.....

Udan Tashtari ने कहा…

Bahut umda!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बात ये तब की है जब हम सब साथ में रोते हंसते थे
हिन्दू मुस्लिम कहाँ हमारे मुल्क में इन्सां बसते थे

बहुत ही अच्छा लिखा है..... आज इंसानियत का भाव बदला है तो सब बदल गया है

उम्मतें ने कहा…

सौहार्द्य की फीलिंग्स बतौर सब ठीक ठाक है पर आपने शहराती माहौल वाले नीम का फोटो चेंप दिया है सो नीम के इर्द गिर्द ऑटो , बिल्डिंग्स , भीड़ भाड़ वगैरह वगैरह आपके गीत वाले आर्केस्ट्रा को बेताला कर रहे हैं :)

ना जाने क्यों फिल्म आँखे के इस गाने की पहली लाइन का ख्याल आ रहा है "शेख बरहमन मुल्ला पाण्डे सब हैं इक माटी के भांडे"

lori ने कहा…

lo ji, aap kitti der se aaye!
yahaa raah dekhte dekhte hi rah gayee mai!
ab idhar rakhsha-Bandhan bhi man chuka hai, aur aapne us mahfil me shirkat nahi ki.
aapki salah par neem badal dungi, ek to fotu nahi mil raha Neem ka!

lori ने कहा…

rakhi mubarak!
http://meourmeriaavaaragee.blogspot.in/2013/08/blog-post_20.html

lori ने कहा…

shukriya!
rakhi ki mubarakbaad

lori ने कहा…

:)

lori ने कहा…

Rakhi Mubarak !
http://meourmeriaavaaragee.blogspot.in/2013/08/blog-post_20.html

lori ने कहा…

sahi hai!

lori ने कहा…

thnx shalini. :)

उम्मतें ने कहा…

आइन्दा से कोशिश करूँगा कि महफ़िलों में वक़्त पे शामिल हो जाया करूँ :)



(सेशन की शुरुवात है सो एडमीशन की प्रोसेस ने बेहाल कर रखा है)

lori ने कहा…

rakhi nayee post par aap nhi hain...:(

उम्मतें ने कहा…

राखी तक तो पहुंच गया भाई :)

lori ने कहा…

:) shukriya......

कौशल लाल ने कहा…

सुन्दर अल्फाजो से सजे बिछड़े राग ........

Onkar ने कहा…

वाह. बहुत खूब

Unknown ने कहा…

wow..amazing lines and itouching emotions

lori ने कहा…

शुक्रिया जी

lori ने कहा…

शुक्रिया जी