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बुधवार, 27 अगस्त 2014

चल रे मटके टम्मक टूँ


उन प्यारे दिनों के नाम, जब माँ रोज़ ही सोने के पहले यह सब सुना करती थी : 

हुए बहुत दिन बुढ़िया एक 
चलती थी लाठी को टेक 

उसके पास बहुत था माल 
जाना था उसको ससुराल 

मगर राह में चीते शेर 
लेते थे राही को घेर 

बुढ़िया ने सोंची तदबीर 
जिससे चमक उठी तक़दीर 

मटका एक मंगाया मोल 
लंबा लंबा गोल मटोल 

उसमे बैठी बुढ़िया आप 
वह ससुराल चली चुपचाप 

बुढ़िया गाती जाती यूँ 
चल रे मटके टम्मक टूँ

                                                   - बताइये  कौन है इस बालगीत का रचनाकार 

37 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बड़ा प्यारा सा बाल गीत .... रचनाकार की जानकारी तो नहीं , पर जानना चाहूंगी

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

यह तो बहुत ही प्रसिद्ध बाल कविता है।
बचपन में बालमुस्कान में पढ़ी थी।
--
सुन्दर प्रस्तुति।
पुरानी यादें ताज़ा करवाने के लिए आपका शुक्रिया।

Manish Kumar ने कहा…

हा हा मज़ेदार !

अनूप शुक्ल ने कहा…

मजेदार।

Unknown ने कहा…

Majedar bachpan ko phir se jiya.

Unknown ने कहा…

Majedar bachpan ko phir se jiya.

Anand Soni ने कहा…

बहुत ही अच्छी कविता हे जो पुराने दिनों की याद दिलाती हे जब हम सरकारी स्कूल में गाव में पढ़ने जाते थे पढ़कर ऐसा लगता हे मानो अभी भी उसी स्कूल में उन्ही सर से पढाई कर रहे हे

lori ने कहा…

सही है आनंद जी। सही मानो में पाठ्यक्रम का पूरा आनंद उठाया था हमने

Unknown ने कहा…

AAP HI BATA DIJIYE NA KON HE ISKE RACHAITA . PLEACE

Unknown ने कहा…

Tija jain

Unknown ने कहा…

Bahut hi prabhavshali poem aaj tak yaad hai..

Unknown ने कहा…

Kya baat....

Unknown ने कहा…

Gajab ki kavita bachpan yaad aaya

Unknown ने कहा…

हम ने भी पढी हे बडा मजेदार कविता।

Unknown ने कहा…

बचपन में पड़ी थी

Unknown ने कहा…

Yah Kavita kisne likhi h

Unknown ने कहा…

अभी आपको इसकी पूरी कहानी पता नहीं, बड़ी मजेदार है

Unknown ने कहा…

Purani yade taja ho gyi class 3 ka Hindi lesson 3

Unknown ने कहा…

बचपन की यादें , में ऋणि हु मेरे शासकीय विद्यालय के शिक्ष को का जिन्होंने मुझे प्राइवेट स्कूल की फीस भरने योग्य बनाया ,

kavita pal ने कहा…

School time me meri book ka ek lesson tha bhut hi pyari kavita hai yah

Unknown ने कहा…

Ye Kavita maine 1993 me 2nd Std me Apni Hindi ki Book me Padhi thi.. 😌😊

Unknown ने कहा…

Class 3 ki nhi Class 2 ka Hindi lesson 3 tha.. 😊

Jaimata.in ने कहा…

मैंने बचपन में पढ़ी।
कविता के रचियता कौन हैं कृपया बताएं।

Unknown ने कहा…

Class 2 me padha tha govt school me

Savita Kiran ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Savita Kiran ने कहा…

bahut hi accha

Rahul Kumar Singh ने कहा…

https://youtu.be/qT874_COKvA

Ye kavita padhkar dali hai youtube par

Unknown ने कहा…

Aj bhi moukhik yad hai

Prakash Rai ने कहा…

prakash raibahut hi sundar kavita hai maine bhi school me padha tha.

Unknown ने कहा…

माखनलाल चतुर्वेदी

बेनामी ने कहा…

आप सभी ने बालपन में इस तुकांत को सुन या पढ़ कर जरुर प्रभावित हुए हैं पर हमें इस्लामी साजिश लगती है।

pramod namdeo ने कहा…

ऋचा जेन जिंदल इस कविता की रचयिता हैं।

Unknown ने कहा…

पूरा बाल गीत प्रस्तुत कीजिए यह आधा बालगीत है

Unknown ने कहा…

मैंने ये कविता मेरी दादी से सुनी थी मुझे वो याद आती है इन कविताओं में

Unknown ने कहा…

अतिसुन्दर

बेनामी ने कहा…

Yeh kavita me bachpan ki ek bohot sundar yaar hai ..

बेनामी ने कहा…

ग्रेट सर