दुःखों की साईत शायद बहुत भारी है
यह संजोग बली
मैं तो जनम -जली
बिरहा के द्वार पर बधाई बजी है
देने शगुन चली
मैं तो जनम -जली
मेरे तन के फूल में मन की सुगंधी
उड़ी, कहाँ चली
मैं तो जनम -जली
शायद तेरे इश्क़ ने भेस बदला है
मेरी उम्र छली
मैं तो जनम -जली
तेरे लिए मैंने दुनिया छान ली
तेरी कौन गली
मैं तो जनम -जली
होंठो के बागों में सिर्फ ठण्डी साँसे हैं
उसमे चम्पा की कली
मैं तो जनम -जली
आँखों की टहनी पर आँसू पक गए हैं
चख लो दर्द फली
मैं तो जनम -जली
- अमृता प्रीतम
17 टिप्पणियां:
true expression of feelings .
Sublime!
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन संसद पर हमला, हम और ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
हर मौके पर अपने भाग्य को कोसती .......एक भिन्न सोच
नई पोस्ट भाव -मछलियाँ
new post हाइगा -जानवर
eik sach h zindagi kaa... jaane kis ke khaate m pad jaaye ye kisi o nhi pta h...
जनम जली का संजोग बली !
अच्छा लगा अमृता को पढ़ना !
Bahut Badhiya.... Behtreen Rachna Padhwai....
vahut sundar rachana
मन की चुभन, व्यक्त इन शब्दों में
thnx Shikha :)
thnx ji
शुक्रिया ...
शुक्रिया ...
शुक्रिया
thnx Monica...
thnx ji
itne din baad...!!! :( , thnx
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