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शुक्रवार, 27 दिसंबर 2013

जंगल की बेटी

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हरसिंगार की महक के जैसी, हर दिल पर छा जायेगी 
रुत की एक सहेली है वह, रुत संग ही खो जायेगी 

​​भौर किरन के साथ निकल कर बगिया बगिया घूमेगी 
शाम ढले सूरज के संग ही बादल में सो जायेगी 

लहरों लहरो टूट के  साहिल के सीने पर बिखरेगी 
बादल बादल रक़्स करेगी, चिड़ियों के संग गायेगी 

अम्बर के कच्चे रंगों पर पंछी बन कर डोलेगी 
घास के ताज़ा फूलों में फिर चटखेगी मुस्कायेगी 

कोहरे के आँचल में लिपटे हलके गीले बाल लिए 
धान के जैसी बाली  उमर में गीत खुशी के गायेगी 

चाँद किरन के झूले में वह तारों से बतियाएगी
सुबह सवेरे शबनम बन कर , हर गुंचा धो जायेगी 

तेरे सुनहरे क़ैद में कैसे, ये अल्हड़ जी पायेगी 
मालो -ज़र के ढेर में दब कर ये पगली खो जायेगी 

जंगल की वहशत फिर उसमे मार रही है लश्कारे 
जंगल की बेटी वापस फिर जंगल की हो जायेगी 

                                                       - सेहबा जाफ़री 

14 टिप्‍पणियां:

zindgi ने कहा…

what I call, "Lady Wordsworth" or "Judith Shakespeare" ????
"Jangal ki Beti" .......lovly

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन "तुम चले जाओगे तो सोचेंगे ... हम ने क्या खोया ... हम ने क्या पाया !!" - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत ही सुन्दर....
अम्बर के कच्चे रंगों पर पंछी बन कर डोलेगी
घास के ताज़ा फूलों में फिर चटखेगी मुस्कायेगी
वाह!!!

अनु

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Waah.... Behtreen Rachna Sajha Ki....

Unknown ने कहा…

Very very nice I got it translated it is just nature's delight

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अती सुन्दर ... मन को छूते हुए छंद हैं सभी ...
नव वर्ष की मंगल कामनाएँ ...

Unknown ने कहा…

A good creation ,congrates .

lori ने कहा…

:) aap bhi!

lori ने कहा…

thnx

lori ने कहा…

thnx monica

lori ने कहा…

thnx

lori ने कहा…

ajnabi kaun ho tum....... ! :)

lori ने कहा…

thnx

lori ने कहा…

thnx ji