हरसिंगार की महक के जैसी, हर दिल पर छा जायेगी
रुत की एक सहेली है वह, रुत संग ही खो जायेगी
भौर किरन के साथ निकल कर बगिया
बगिया
घूमेगी
शाम ढले सूरज के संग ही बादल में सो जायेगी
लहरों लहरो टूट के साहिल के सीने पर बिखरेगी
बादल बादल रक़्स करेगी, चिड़ियों के संग गायेगी
अम्बर के कच्चे रंगों पर पंछी बन कर डोलेगी
घास के ताज़ा फूलों में फिर चटखेगी मुस्कायेगी
कोहरे के आँचल में लिपटे हलके गीले बाल लिए
धान के जैसी बाली उमर में गीत खुशी के गायेगी
चाँद किरन के झूले में वह तारों से बतियाएगी
सुबह सवेरे शबनम बन कर , हर गुंचा धो जायेगी
तेरे सुनहरे क़ैद में कैसे, ये अल्हड़ जी पायेगी
मालो -ज़र के ढेर में दब कर ये पगली खो जायेगी
जंगल की वहशत फिर उसमे मार रही है लश्कारे
जंगल की बेटी वापस फिर जंगल की हो जायेगी
- सेहबा जाफ़री
14 टिप्पणियां:
what I call, "Lady Wordsworth" or "Judith Shakespeare" ????
"Jangal ki Beti" .......lovly
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन "तुम चले जाओगे तो सोचेंगे ... हम ने क्या खोया ... हम ने क्या पाया !!" - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत ही सुन्दर....
अम्बर के कच्चे रंगों पर पंछी बन कर डोलेगी
घास के ताज़ा फूलों में फिर चटखेगी मुस्कायेगी
वाह!!!
अनु
Waah.... Behtreen Rachna Sajha Ki....
Very very nice I got it translated it is just nature's delight
अती सुन्दर ... मन को छूते हुए छंद हैं सभी ...
नव वर्ष की मंगल कामनाएँ ...
A good creation ,congrates .
:) aap bhi!
thnx
thnx monica
thnx
ajnabi kaun ho tum....... ! :)
thnx
thnx ji
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