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गुरुवार, 12 दिसंबर 2013

मैं तो जनम -जली






दुःखों की साईत  शायद बहुत भारी है 
यह संजोग बली 
मैं  तो जनम -जली
 
बिरहा के द्वार पर बधाई बजी है 
देने शगुन चली 
मैं  तो जनम -जली 

मेरे तन के फूल में मन की सुगंधी 
उड़ी, कहाँ चली 
मैं  तो जनम -जली 

शायद तेरे इश्क़ ने भेस बदला है 
मेरी उम्र छली 
मैं  तो जनम -जली 

तेरे लिए मैंने दुनिया छान ली 
तेरी कौन गली 
मैं  तो जनम -जली 

होंठो के बागों में सिर्फ ठण्डी  साँसे हैं 
उसमे चम्पा की कली 
मैं  तो जनम -जली 

आँखों की टहनी पर आँसू  पक गए हैं 
चख लो दर्द फली 
मैं  तो जनम -जली
 
अमृता  प्रीतम 


17 टिप्‍पणियां:

shikha kaushik ने कहा…

true expression of feelings .

Arvind Mishra ने कहा…

Sublime!

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन संसद पर हमला, हम और ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

हर मौके पर अपने भाग्य को कोसती .......एक भिन्न सोच
नई पोस्ट भाव -मछलियाँ
new post हाइगा -जानवर

Unknown ने कहा…

eik sach h zindagi kaa... jaane kis ke khaate m pad jaaye ye kisi o nhi pta h...

वाणी गीत ने कहा…

जनम जली का संजोग बली !
अच्छा लगा अमृता को पढ़ना !

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Bahut Badhiya.... Behtreen Rachna Padhwai....

puransingh ने कहा…

vahut sundar rachana

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

मन की चुभन, व्यक्त इन शब्दों में

lori ने कहा…

thnx Shikha :)

lori ने कहा…

thnx ji

lori ने कहा…

शुक्रिया ...

lori ने कहा…

शुक्रिया ...

lori ने कहा…

शुक्रिया

lori ने कहा…

thnx Monica...

lori ने कहा…

thnx ji

lori ने कहा…

itne din baad...!!! :( , thnx