पूरा दुःख और आधा चाँद
हिज्र की शब् और ऐसा चाँद
दिन में वहशत बहल गयी थी
रात हुई और निकला चाँद
यादों की आबाद गली में
घूम रहा है तन्हां चाँद
मेरी करवट पर जाग उट्ठे
नींद का कितना कच्चा चाँद
इतने घने बादल के पीछे
कितना तन्हाँ होगा चाँद
आंसू रोके, नूर नहाये
दिल दरिया तन सहरा चाँद
जब पानी मे चेहरा देखा
तूने किसको सोचा चाँद
बरगद की एक शाख हठा कर
जाने किसको झाँका चाँद
रात के शानों पर सर रक्खे
देख रहा है सपना चाँद
हाथ हिला कर रुखसत होगा
उसकी सूरत हिज्र का चाँद
सहरा सहरा भटक रहा है
अपने इश्क में सच्चा चाँद
रात के शायद एक बजे हैं
सोता होगा मेरा चाँद
हिज्र की शब् और ऐसा चाँद
दिन में वहशत बहल गयी थी
रात हुई और निकला चाँद
यादों की आबाद गली में
घूम रहा है तन्हां चाँद
मेरी करवट पर जाग उट्ठे
नींद का कितना कच्चा चाँद
इतने घने बादल के पीछे
कितना तन्हाँ होगा चाँद
आंसू रोके, नूर नहाये
दिल दरिया तन सहरा चाँद
जब पानी मे चेहरा देखा
तूने किसको सोचा चाँद
बरगद की एक शाख हठा कर
जाने किसको झाँका चाँद
रात के शानों पर सर रक्खे
देख रहा है सपना चाँद
हाथ हिला कर रुखसत होगा
उसकी सूरत हिज्र का चाँद
सहरा सहरा भटक रहा है
अपने इश्क में सच्चा चाँद
रात के शायद एक बजे हैं
सोता होगा मेरा चाँद
16 टिप्पणियां:
क्या रात को सोता होगा चांद ?
चांद मुबारक... :)
वाह!
अभी तो दिन के तीन बजे हैं
गज़ल पढ़ी और देखा चाँद।:)
चाँद मुबारक।
सिद्धार्थ जी का प्रश्न मेरी तरफ से भी :-)
बहुत ही सुंदर ....
चाँद मुबारक !!
आलम भर में बांटे चांदनी,
खुद कितना तनहा है चाँद!
महीने भर रमज़ान निभाओ,
फिर निकलेगा ईद का चाँद!
ढ़पोरशंख
वाह ..बहुत सुंदर ....
सोने वाले सवाल से पहले ये तो पूछ लीजिए कि अरे भाई ये चांद है कौन ? :)
तप्त बनारस भरी दुपहरी
पांडेय जी ने देखा चांद :)
सिद्दार्थ भाईजान! अली अंकल!
किस्मत ने चीढों के पीछे उगा दिया है मेरा चाँद
नज़ारा ही नही हो रहा उसका तो!
काश! इन शदीद बारिशों में, ब्लॉग की चिट्ठी पा कर
वह ज़रा अपने ज़मीन की तरफ खिसक आये!
चाँद आपको भी सलामत! :)
:)
आशीष जी!
चाँद पर एक और शेर आपकी नज़र-
चाँद किसी का हो नहीं सकता, चाँद किसी का होता है
चाँद की खातिर जिद नहीं करते, ऐ मेरे अच्छे इंशां चाँद!
-इब्ने इंशां.
आपकी आमद पर शुक्रन अल्लाह!
:)
वही में सोंच रही थी:-
" बज़्म में चाँद के ज़िक्र छिड़ा
और आप अभी तक बाक़ी हैं
तन्हाँ आपको सोच रहें हैं
हम जो आपके साक़ी हैं...."
शिव!
चमके अगर चाँद तो, दरीचे में रुक भी जाए....
(मगर कहीं चमके तो! :) )
आप आये अच्छा लगा.
साथ बना रहे.
चाँद आपको भी सलामत! :)
मेरा वाला चांद दूज का है जब जब नाई मेहरबां तब तब दिखता है :)
इस शानदार रचना को पढवाने का शुक्रिया।
............
International Bloggers Conference!
लिल्लाह ! चाँद.
"चाँद की चाहत, देखो कैसे भोले दिल को ले बैठी
मन का बचपन चाँद ही मांगे, जैसे एक खिलौना चाँद....."
यही दुआ की हर शब चमके
सबका अपना - अपना चाँद । बहुत खुबसुरत ! ''़़़़़ नींद का कितना कच्चा चाँद ''
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