उफक के दरीचों से किरणों ने झाँका
फ़ज़ा तन गयी रास्ते मुस्कुराए
सिमटने लगी नर्म कोहरे की चादर
जवाँ शाखसारों ने घूँघट उठाये
परिंदों की आवाज़ से खेत चौंके
पुर असरार लय में रहट गुनगुनाये
हंसी शबनम आलूद पगडंडियों से
लिपटने लगे सब्ज़ पेड़ों के साए
वो दूर टीले पे आँचल सा झलका
तसव्वुर में लाखों दिए झिलमिलाये
फ़ज़ा तन गयी रास्ते मुस्कुराए
सिमटने लगी नर्म कोहरे की चादर
जवाँ शाखसारों ने घूँघट उठाये
परिंदों की आवाज़ से खेत चौंके
पुर असरार लय में रहट गुनगुनाये
हंसी शबनम आलूद पगडंडियों से
लिपटने लगे सब्ज़ पेड़ों के साए
वो दूर टीले पे आँचल सा झलका
तसव्वुर में लाखों दिए झिलमिलाये
- साहिर लुधियानवी
9 टिप्पणियां:
प्रकृति का सौंदर्य अनूठा ..
समग्र गत्यात्मक ज्योतिष
कितनी सुन्दर कल्पना कोहरे के घूँघट को उठाते शाखसारों की :)
ऐ खुदा! आँखों को मंज़र दे तो ऐसी नज़र भी दे।
वाह....
क्या मंज़र है.....खुदा की नेमत..
सांझा करने का शुक्रिया लोरी जी.
अनु
ये सब पढ़कर मैं पगला जाता हूं , फिर एक शिकवा कि ये सलाहियत परवरदिगार ने मुझे क्यों ना बख्शी !
ये सब पढ़कर मैं पगला जाता हूं , फिर एक शिकवा कि ये सलाहियत परवरदिगार ने मुझे क्यों ना बख्शी !
बहुत खूब , बहुत ही सुंदर ....
सही कहा देवेन्द्र जी ने
ऐ खुदा! आँखों को मंज़र दे तो ऐसी नज़र भी दे।
परिंदों की आवाज़ से खेत चौंके
पुर असरार लय में रहट गुनगुनाये
बहुत सुंदर..... आभार पढवाने का ....
sahir sahb ki nzr.......kmaaal! sahir sahb ke klm ...lajwab. tumhari psnd...... waah! waah!
jeeti rho
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