उसने फूल भेजें हैं....
उसने फूल भेजें हैं
फिर मेरी अयादत को
एक एक पत्ती में
उन लबों की नरमी है
उन जमील हाथों की
खुश गवार हिद्दत है
उन लतीफ़ साँसों की
दिलनवाज़ खुशबू है
दिल में फूल खिलतें हैं
रूह में चरागाँ है
ज़िंदगी मोअत्तर है
फिर भी दिल ये कहता है
बात कुछ बना लेना
वक़्त के खजाने से
एक पल चुरा लेना
काश! वो खुद आ जाता
-परवीन शाकिर
उसने फूल भेजें हैं
फिर मेरी अयादत को
एक एक पत्ती में
उन लबों की नरमी है
उन जमील हाथों की
खुश गवार हिद्दत है
उन लतीफ़ साँसों की
दिलनवाज़ खुशबू है
दिल में फूल खिलतें हैं
रूह में चरागाँ है
ज़िंदगी मोअत्तर है
फिर भी दिल ये कहता है
बात कुछ बना लेना
वक़्त के खजाने से
एक पल चुरा लेना
काश! वो खुद आ जाता
-परवीन शाकिर
11 टिप्पणियां:
वाह! उम्दा...
उसके लिए, वो जो भी है सिर्फ उसके लिए बहुत खूब :)
बेहद उम्दा ...
आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है, तेजाब :- मनचलों का हथियार - ब्लॉग बुलेटिन, के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
वाह बहुत खूबसूरत शब्द रचना ....
फूल से भी सुन्दर सजे हैं प्रतीक्षा के भाव।
उन फूलों की खुशबू को हमने भी महसूस किया कविता में !
शुभकामनायें !
:) thnx
:) Alhamdulillaha!!!
thnx ji :)
:)
:)
एक टिप्पणी भेजें