कमरे में हर चीज़
अपनी जगह मौजूद थी
सब ठीक ठाक था
फिर भी
यूं लग रहा था
जैसे कोई चीज़
चोरी हो गयी है
मैंने एक बार फिर
कमरे का जायज़ा लिया
अल्मारी और मेज़ के खानों में
हर चीज़ ज्यों की त्यों रखी हुई थी
लेकिन केलेंडर से
अट्ठाइस के बाद की तारीख़ें
चोरी हो गयी थीं
- मोहम्मद अल्वी
8 टिप्पणियां:
बहुत खूब !
न्यू पोस्ट हिमालय ने शीश झुकाया है !
न्यू पोस्ट अनुभूति : लोरी !
वाह ... कमाल का ख्याल गूंथा है ... बहुत उम्दा ...
बहुत सुन्दर
Bahut Umda
वाह क्या अंदाज़े बया हैं...
अति सुन्दर..
लाेरी अली जी, आप अपने ब्लाग से मेरा यू आर एल डालकर सीधे एड कर लीजिए। इससे आपके फ्रंट पेज पर मेरे ब्लाग छोटे रूप में दिखने लगेगा। आपका ब्लाग भी अच्छा है। आप अपनी पोस्ट डालते वक्त ध्यान रखिए कि आप जो भी पोस्ट डाल रही हैं, वह ३०० शब्दों से कम न हो। यदि आपकी आगे चल कर एडसेंस लेने की योजना बनाई है, तो फिर हमें और आपको काफी कुछ सीखना पड़ेगा।
बढ़िया है , मंगलकामनाएं आपको !
वाह! बहुत बढ़िया अंदाजे-बयां!
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