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शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

फ़रवरी



















कमरे में हर चीज़ 
अपनी जगह मौजूद थी 
सब ठीक ठाक था 
फिर भी 
यूं लग रहा था 
जैसे कोई चीज़ 
चोरी हो गयी है 
मैंने एक बार फिर 
कमरे का जायज़ा लिया 
अल्मारी और मेज़ के खानों में 
हर चीज़ ज्यों की त्यों रखी हुई थी 
लेकिन केलेंडर से 
अट्ठाइस के बाद की तारीख़ें 
चोरी हो गयी थीं 
- मोहम्मद अल्वी 

8 टिप्‍पणियां:

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत खूब !
न्यू पोस्ट हिमालय ने शीश झुकाया है !
न्यू पोस्ट अनुभूति : लोरी !

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह ... कमाल का ख्याल गूंथा है ... बहुत उम्दा ...

Onkar ने कहा…

बहुत सुन्दर

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Bahut Umda

dr.sunil k. "Zafar " ने कहा…

वाह क्या अंदाज़े बया हैं...
अति सुन्दर..

कहकशां खान ने कहा…

लाेरी अली जी, आप अपने ब्‍लाग से मेरा यू आर एल डालकर सीधे एड कर लीजिए। इससे आपके फ्रंट पेज पर मेरे ब्‍लाग छोटे रूप में दिखने लगेगा। आपका ब्‍लाग भी अच्‍छा है। आप अपनी पोस्‍ट डालते वक्‍त ध्‍यान रखिए कि आप जो भी पोस्‍ट डाल रही हैं, वह ३०० शब्‍दों से कम न हो। यदि आपकी आगे चल कर एडसेंस लेने की योजना बनाई है, तो फिर हमें और आपको काफी कुछ सीखना पड़ेगा।

Satish Saxena ने कहा…

बढ़िया है , मंगलकामनाएं आपको !

कविता रावत ने कहा…

वाह! बहुत बढ़िया अंदाजे-बयां!