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बुधवार, 10 जुलाई 2013

क्यों



लडकियाँ माँओं  जैसे मुक़द्दर क्यों  रखती हैं
तन सहरा और आँख समंदर क्यों रखती हैं 

औरतें अपने दुःख की विरासत किसको देंगी
संदूकों में बंद ये ज़ेवर  क्यों रखती हैं 

वो जो रहीं हैं  खाली पेट और नंगे सर 
बचा बचा कर सर की चादर क्यों रखती हैं 

सुबह विसाल की किरणे हमसे पूछ रही हैं 
रात अपने हाथों में खंजर क्यों रखती है

                                   
   

1 टिप्पणी:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सच है, प्रश्न गहरे हैं।