लडकियाँ माँओं जैसे मुक़द्दर क्यों रखती हैं
तन सहरा और आँख समंदर क्यों रखती हैं
औरतें अपने दुःख की विरासत किसको देंगी
संदूकों में बंद ये ज़ेवर क्यों रखती हैं
वो जो रहीं हैं खाली पेट और नंगे सर
बचा बचा कर सर की चादर क्यों रखती हैं
सुबह विसाल की किरणे हमसे पूछ रही हैं
रात अपने हाथों में खंजर क्यों रखती है
1 टिप्पणी:
सच है, प्रश्न गहरे हैं।
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