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रविवार, 8 अप्रैल 2012

समन्दरों के उधर से कोई सदा आयी .....


"कहीं रहे वो मगर खैरियत के साथ रहे
उठाये हाथ तो लब पर यही दुआ आयी ..."
- परवीन शाकिर


3 टिप्‍पणियां:

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

आमीन।

उम्मतें ने कहा…

सर्दियों के हालात...इतनी सारी अंगूठियों वाले हाथों की दुआ ! किस की मजाल है जो ताईद-ए-दुआ ना करे :)

उम्मतें ने कहा…

बहरहाल पेशकश 'खूबसीरत' है !