बहिनो! क्या बताऊं, तुमसे बांट बूंट कर हल्की
होना चाहती हूं: मियां मौलवी साहब की पांच बेटियां अस्मां, सीमा, रेशमा, गुड्डी, मुन्नी. अगले दिन ईद और मियां
मौलवी साहब के पाजामे को टेलर मास्टर ने लम्बा कर दिया. मियां साहब ने अस्मा को बुला
ताक़ीद की “ बिटीया!!! ज़रा अब्बू का पाजामा एक बालिश्त छोटाकर देना सुबह को ईद है” “ अब्बू ! मेरा तो सूट नही सिला!! आपको पजामे की
पडी है” मियांसाहब रेशमा के पास : “ बिटीया!!! ज़रा अब्बू का पाजामा एक बालिश्त छोटाकर
देना सुबह को ईद है” “ अब्बू मुझे नही आता ये सब!” मियासाहब सीमा के पास: “ बिटीया!!! ज़रा अब्बू का
पाजामा एक बालिश्त छोटाकर देना सुबह को ईद है” बारी बारी हर बेटी ने मायूस किया. मियासाहब
ने अशर्फी टेलर को चंद रुपये देकर काम निब्टाया.
पाजामा घर पर लाकर रखा और सोने की
तैयारी. अस्मां अपने कपडों से फारिग हुई तो याद आया कि अब्बू के साथ कितना बुरा बर्ताव
किया उसने.उसे अभी ही उठ कर माफी तलाफी करना चाहिये. अब्बूतो खैर सो भी चुके. रात भर
पछतावे की आग मे जलने से बेहतर है, अभी ही मशीन लगा पाजामा एक
बालिश्त छोटा कर दिया जाये. वह अब्बू जो उसके लिये हर वक़्त एक साये की तरह साथ रहे वह
उनके साथ ऐसा कैसे कर सकती है!!. वह फौरन बिस्तर छोड भागी, अब्बू का पाजामा छोटा कर
चैन की सांस ली और बिस्तर पर लेट गयी. सीमा, सबसे फारिग हो दिन भर की
गुस्ताखियां याद करने लगी. अब्बू के साथ की गयी जब खुद
की हरकत याद की तो अफ्सोस से जी भर गया अपने किये कराये के मलाल को कम करने के लिये
फौरन बिस्तरे से परे हो उठी और सिलाई कमरे में रखे अब्बू के पाजामे को एक बालिश्त छोटाकर
के ही दम लिया. अल्लाह!! बेटियां शायद इसी दिन के लिये अल्लाह की रेहमत समझी जातीं है, रेशमा को भी नींद कहां आने
वाली थी!!! ज़माने को सिल सिला के देती हूं लेकिन
एक अपने अब्बू के कपडे ही नही सिल पा रही!!! वह फौरन बिस्तर छोड भागी, जल्द अज़ जल्द पाजामे को एक
बालिश्त छोटा किया, और अपने एक अच्छी बेटी
होने के मुगालते में पानी डाल सोने वाले कमरे में चली गयी. गुड्डी मुन्नी क्यों
पीछे रहती भला !! फौरन फौरन बिस्तर छोड भागी, दोनो ने बारी बारी एक एक बालिश्त
कम कर अपने फरमाबर्दार होने का फर्ज़ निभाया और ग्रे कलर के खूबसूरत पाजामे को सही करने
का भरम पाल सोने के कमरे में आ गयी.
ईद
की सुबह. अब्बू फज्र की नमाज़ से फारिग हो अपना लिबास बदलने की तैय्यारी करते करते चिल्ला
रहे थे “ अरे लड्कियों! मशीन पर रखी ग्रे चड्डी के नीचे उसी रंग का पाजामा रखा था !!! क्य तुम में
से किसी ने उसे देखा है??? “
5 टिप्पणियां:
बेचारे अब्बू ...मंगलकामनाएं लोरी को !
हा हा हा हा पजामे को देख कर अब्बू की हालत सोच कर पसीना आ गया।
बहुत खूब
आनन्दित हुई
सादर
बहुत खूब !
Bhut mast
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