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मंगलवार, 2 जून 2015

" ही" " शी" " इट "















​हे ईश्वर !
अगर तुम " ही "
 हो
तो पुरुषों के लिए हर्ष का विषय 
है
अगर " शी " हो तो
और भी अच्छा कि
जीवन और जीवन शक्ति दोनों
तुम से हैं
देखो!
मैं  तो डरती हूँ
नपुंसकता से, कायरता से
तुम्हारे कुछ नहीं रहने से
और उन बदलते ढंगों से
जिससे तुम
आहिस्ते -आहिस्ते
"इट " हो रहे हो
           - लोरी 

14 टिप्‍पणियां:

5th pillar corruption killer ने कहा…

kyaa bat hai ji bhut khoob !!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

गहरी रचना ... इंसान इश्वर से आगे निकल गया है ... अब कौन जानना चाहता है की वो कौन है ...

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Vakai..... Gahan Abhivykti

Kailash Sharma ने कहा…

लाज़वाब चिंतन..

Armaan... ने कहा…

shandar..

Alaknanda Singh ने कहा…

shaaandaaaaaaaaaaaaaaarrrrrr......IT hone tak ka silsila..khub kaha

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

गजब, गहरा।

lori ने कहा…

thnx ji :)

lori ने कहा…

शुक्रिया

lori ने कहा…

शुक्रिया

lori ने कहा…

शुक्रिया

lori ने कहा…

:) शुक्रिया

lori ने कहा…

शुक्रिया

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

बहुत खूब....