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मंगलवार, 8 अक्तूबर 2013

मोती



सदफ़ में उतरूँ तो गुहर  बन  भी जाऊं 
सदफ़   से  पहले मगर  हल्क़ - ए- नहंग में हूँ 
-परवीन शाकिर
 

                
अर्थ                
हल्क़ - ए- नहंग- मगरमच्छों का घेरा 
सदफ - सीप
गुहर - मोती 
 

4 टिप्‍पणियां:

Shah Nawaz ने कहा…

Behtreen likha hai Parveen Shakir ne...

उम्मतें ने कहा…

भाई शाहनवाज़ ,
उन्होंने बेहतरीन लिखा सो ठीक ही है...पर लोरी साहिबा बेहतरीन चुनती हैं ये बहुत बहुत ठीक है !

lori ने कहा…

shukria aap dono k liye...

lori ने कहा…

shukria aap dono k liye...