www.hamarivani.com

शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

तुम्हारे लिए....!



मैंने मासूम बहारों में तुझे देखा है
मैंने मोहूम इशारों में तुझे देखा है
मेरे महबूब! तेरी पर्दानशीं की कसम
मैंने अश्कों कि कतारों में तुझे देखा है.....
-साहिर लुधियानवी

4 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

वाह बेहतरीन !!!!

उम्मतें ने कहा…

आप इतने दिनों से हैं कहां ?

अब आपकी गैर हाजिरी पे एक अदद पैरोडी तो बनती ही है ...

हमने जी बज़ की बहारों में तुझे देखा है
हमने गूगल के किनारों में तुझे देखा है
ऐ मेरे दोस्त , ब्लागर की कसम
हमने ब्लागिंग से फरारों में तुझे देखा है :)

बेनामी ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
lori ने कहा…

:)