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मंगलवार, 12 अक्तूबर 2010

अम्मा वक्त निकालो न!


याद है
तुमने कहा था
आएँगे पीले फूल
मेरे लगाए पौधों में
तुम मुझे फिर मिलोगी
देखो
फूल तो आ गए हैं
पर तुम तो नहीं आई
जानती हूँ
पनियाएंगी तुम्हारी आँखें
इस ही गमले के पास
एक दिन जब
जा चुकी होगी
तुम्हारी बिटिया
इस आँगन को पराया कर
तुम पनीली आँखों से दर्द कहोगी
वह पनीली आँखों से दर्द पढेगी
बस....इतने रिश्ते रह जाएँगे
क्यूंकि तब तक
वह भी दे चुकी होगी
अपनी बिटिया को
यही पीले फूलो वाले बीज

7 टिप्‍पणियां:

'साहिल' ने कहा…

बहुत भावुक और खूबसूरत कविता है.........बधाई!

monali ने कहा…

Bitiya ko peele fulo wale beej dijiye magar ye ummeed nahi k aap aayengi....betiyaan raah takti reh jati hain aur intzaar bahut dukhdaayi hota h...

Amit Chandra ने कहा…

bahut hi khubsurat ehsas. likhte rahiye. shubhkamnaye.

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 06/07/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

lori ने कहा…

thnx Yashwant ji!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

भावप्रदत्त रचना ..... बेटी को दूसरे घर भेज माँ की आँखें तो हमेशा ही पनियाई रहती हैं

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

amma ki yaad , pyari lagi!