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गुरुवार, 6 जनवरी 2011

अकेलापन



उसी रह-गुज़र पर
जहां से गुज़र कर
न वापस हुए तुम
बिचारा सनोबर
झुकाए हुए सर
अकेला खडा है
-मोहम्मद अल्वी

2 टिप्‍पणियां:

उम्मतें ने कहा…

बहुत खूब ! अल्वी साहब को पेश करने के लिए आपका शुक्रिया !

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

kya kahna bhai sahab!