www.hamarivani.com

रविवार, 2 जनवरी 2011

"शी वाज़ नॉट वर्जीन "



याद करूँ क्या बोलो
उन रिक्त रीते क्षणों को
जबकि तुमने
चूमा था मुझको
पहली बारिश के नशे में

याद करूँ क्या बोलो
जबकि मुस्कुराए थे तुम
पहली बार उस क्षण को याद कर

याद करू क्या बोलो
उस गुलाबी अहसास को
जो जिया था मैंने
जबकि तुमने मुझे लाड से
बुलाया था, एक नया नाम देकर

याद करू क्या बोलो
जबकि तुमने मुझे अपना कह कर
मांग ली थी एक पूरी शाम

याद करूँ क्या बोलो
उस शाम के बाद बदले तुम्हारे तेवर
या मेरी रोती -बिलखती बेबसी
महीनो तुम्हारे बंद हो गए दरवाज़े पर

या कि याद करू
मेरा निराश हो, किसी और का
हाथ थाम चले जाना
और तुम्हारा पीछे यह कहना
"तुम्हे पता है!
शी वाज़ नॉट वर्जीन "
(दोस्त राधिका के नाम जिसने इस घटना के बाद आत्म-हत्या कर ली )

3 टिप्‍पणियां:

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

man-mastishk ko jhakjhor denewali rachna!

उम्मतें ने कहा…

राधिका के लिए बेहद अफ़सोस !

lori ने कहा…

शुक्रिया जनाब् गोण्डवी साहब्!!!
अली जी! यही क्यो होता है?
'लम्हे खाता करते हैं , सदिया सज़ा पाती हैं'