लब -ओ -लहजा हो कैसा भी
आहट बनावट कुछ भी हो
दिल है तुम्हारा एक सा
सूरत सजावट कुछ भी हो
तुम चीन में हो या चाँद पर
दिल तो तुम्हारा घर में है
चिड़िया हो जैसे दूर पर
अटका तो दिल शजर में है
जब तक हो तुम हर आस है
दो जहाँ की खुशियाँ पास है
तेरी दो आँखों में मै हूँ
ये ही सबसे ख़ास है
सदियों से बदले दौर ने
हर एक को बदला यहां
तू न बदली माँ मगर
हर रोज़ बदला ये जहाँ
तू है तो दिन है रात है
तू है तो हर इक बात है
तू है तो घर भी घर है माँ
घर के मकीं भी साथ हैं
अल्लाह करे साया तेरा
यूँ ही मेरे सर पर रहे
तेरी दुआएँ साथ हो
जब जब भी हम भँवर में रहे
-आमीन
लोरी