आवारगी
शुक्रवार, 24 सितंबर 2010
चाँद किसी का हो नहीं सकता
चाँद किसी का होता है
चाँद की खातिर जिद नहीं करते
ऐ मेरे अच्छे इंशा चाँद!!!!
-इब्ने इन्शां
मंगलवार, 14 सितंबर 2010
ये क्या है मोहब्बत में तो एसा नहीं होता
मै तुझसे जुदा होके भी तनहा नहीं होता
इस मोड़ से आगे भी कोई मोड़ है वरना
यूँ मेरे लिए तू कभी ठहरा नहीं होता
या इतनी न तब्दील हुई होती ये दुनिया
या मैंने इसे ख्वाब में देखा नहीं होता
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