आवारगी
गुरुवार, 6 जनवरी 2011
अकेलापन
उसी रह-गुज़र पर
जहां से गुज़र कर
न वापस हुए तुम
बिचारा सनोबर
झुकाए हुए सर
अकेला खडा है
-मोहम्मद अल्वी
2 टिप्पणियां:
उम्मतें
ने कहा…
बहुत खूब ! अल्वी साहब को पेश करने के लिए आपका शुक्रिया !
9 जनवरी 2011 को 6:29 pm बजे
सुरेन्द्र सिंह " झंझट "
ने कहा…
kya kahna bhai sahab!
14 जनवरी 2011 को 4:26 am बजे
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
2 टिप्पणियां:
बहुत खूब ! अल्वी साहब को पेश करने के लिए आपका शुक्रिया !
kya kahna bhai sahab!
एक टिप्पणी भेजें