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रविवार, 19 दिसंबर 2010


टूट जाए के पिघल जाए मेरे कच्चे घडे
तुझको देखू के ये आग क दरिया देखू
परवीन शाकिर

2 टिप्‍पणियां:

उम्मतें ने कहा…

बड़ा मुश्किल होता है तय करना !

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

behtareen sher..
'kachche ghade'shabd ka prayog bahut hi prabhavshali ban pada hai,