बाप रे! यानी पत्थर भी लगे तो 'उसको' हा हा हा किन्तु...ये प्यार की परिकाष्ठा होती है जब दुनिया जख्म दे तब भी जख्म जख्म नही लगते जो हमारा महबूब साथ हो.उसकी बाँहों में मौत भी हसीं है संगसार होना तो बहुत मामूली बात होगी.जियो. 'तेरे इश्क की उम्र दराज़ हो'. आमीन
4 टिप्पणियां:
लिल्लाह!
आशीष
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पहला ख़ुमार और फिर उतरा बुखार!!!
एक उम्मीद ही तसल्ली बख्शती है ! वो ही जोड़े रखती है रिश्ते !
बाप रे! यानी पत्थर भी लगे तो 'उसको'
हा हा हा
किन्तु...ये प्यार की परिकाष्ठा होती है जब दुनिया जख्म दे तब भी जख्म जख्म नही लगते जो हमारा महबूब साथ हो.उसकी बाँहों में मौत भी हसीं है संगसार होना तो बहुत मामूली बात होगी.जियो.
'तेरे इश्क की उम्र दराज़ हो'.
आमीन
आशीष जी, इन्दू आंटी और अली जी !!!!!
हौसला-अफजाई का बहुत शुक्रिया.
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