मै तुझसे जुदा होके भी तनहा नहीं होता' बहुत प्यारा शे'र है.इश्क में तनहा वो होते है जो महबूब से जुदा होते हैं.दोनों एक जां हो जाये तो कैसी तन्हाई? एक नही हुए तो ये कैसा इश्क? है न? लिंक देते रहना जब भी कुछ नया लिखो.भूल जाती हूँ.पर....अच्छा पढ़ने की शौक़ीन हूँ. ये बताओ मेरे ब्लॉग का पता कैसे चला?
2 टिप्पणियां:
मै तुझसे जुदा होके भी तनहा नहीं होता'
बहुत प्यारा शे'र है.इश्क में तनहा वो होते है जो महबूब से जुदा होते हैं.दोनों एक जां हो जाये तो कैसी तन्हाई? एक नही हुए तो ये कैसा इश्क? है न? लिंक देते रहना जब भी कुछ नया लिखो.भूल जाती हूँ.पर....अच्छा पढ़ने की शौक़ीन हूँ.
ये बताओ मेरे ब्लॉग का पता कैसे चला?
मै तुझसे जुदा होके भी तनहा नहीं होता...
यहाँ आकर रचना पढ़ आनंद आया.
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