भूख के मारे कोई बच्चा नहीं रोयेगा
चैन की नींद हर एक शख्स यहाँ सोयेगा
आंधी नफ़रत की चलेगी न कहीं अब के बरस
प्यार की फसल उगाएगी ज़मीं अब के बरस
है यक़ीं अब न कहीं शोर शराबा होगा
ज़ुल्म होगा न कहीं खून खराबा होगा
औस और धूप के सदमे न सहेगा कोई
अब मेरे देस में बेघर न रहेगा कोई
नए वादों का जो डाला है, वो जाल अच्छा है
रहनुमाओं ने कहा है कि ये साल अच्छा है
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल के खुश रखने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है
-मक़बूल ग़ालिब
3 टिप्पणियां:
सच अगर ऐसा हो जाए तो क्या कहने.....नववर्ष की शुभकामनाएं
It`s good .
diben
काश कि ब्राह्मण का दिल खुश करने वाला ख्याल सच साबित हो... :)
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