आवारगी
रविवार, 28 अप्रैल 2013
:)
मस्जिद के ज़ेरे साया एक घर बना लिया है
ये बन्दा -ए -कमीना , हमसाया-ए खुदा है ......
गुरुवार, 11 अप्रैल 2013
बाग़ -ए -बहिश्त से मुझे हुक्म-ए -सफ़र दिया था क्योँ
कार-ए -जहाँ दराज़ हैं ,अब मेरा इंतज़ार कर
-अल्लामा इक़बाल
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