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शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012

मश्विरा



नन्ही लड़की!
साहिल के इतने नज़दीक
रेत से अपना घर ना बना
कोई सरकश मौज इधर आयी तो
तेरे घर की बुनियादे तक बह जायेंगी
और फिर उनकी याद में तू
सारी उम्र उदास रहेगी
-परवीन शाकिर

1 टिप्पणी:

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

मौजों की सरकशी घर मेरा बहायेगी
मेरी यह जिद है थक के हार जायेगी।