आवारगी
शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012
मश्विरा
नन्ही लड़की!
साहिल के इतने नज़दीक
रेत से अपना घर ना बना
कोई सरकश मौज इधर आयी तो
तेरे घर की बुनियादे तक बह जायेंगी
और
फिर उनकी याद में तू
सारी उम्र उदास रहेगी
-परवीन शाकिर
रविवार, 8 अप्रैल 2012
समन्दरों के उधर से कोई सदा आयी .....
"कहीं रहे वो मगर खैरियत के साथ रहे
उठाये हाथ तो लब पर यही दुआ आयी ..."
- परवीन शाकिर
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