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रविवार, 3 अक्तूबर 2010





"वो एक लम्हा कि मेरे बच्चे ने माँ कहा मुझको
मै एक शाख से कितना घना दरख्त हुई !!!!!!! "

-परवीन शाकिर


2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

आप मेरे ब्लॉग पर आये और हौसलाफजाई की उसके लिए मैं तहेदिल से आपका शुक्रगुज़ार हूँ .............अच्छा लगा आपका ब्लॉग ...........सबसे पहले ब्लॉग का टाइटल हिंदी में ज़रूर बदले.......लोरी के साथ अली का जोड़ना (आप मुस्लिम है खुद समझदार हैं) ......जहाँ तक मुझे लगा की लोरी कोई नाम नहीं है ........अगर आप दुनिया से रूबरू हैं तो मेरी नज़र में अपनी पहचान छुपाने से क्या फायदा ?

खैर ये मेरा अपना नजरिया हो सकता है आप इससे इत्तेफाक न रखें...........अगर कोई बात गलत लगी तो माफ़ कीजियेगा |

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

aapka blog bahut pyara laga
"lori"bahut bahut sunder