क्षमा
क्षमा क्षमा प्रियवर
आत्मीय, वंदनीय क्षमा !
हर दुर्बलता वश हुए पाप पर
हर झूठ, हर द्वंद, हर कलाप पर
हर युद्ध, हर वध, हर प्रपंच छल पर
हर दीनता, हर विवश हल पर
क्षमा करना हे आत्मीय मुझको
कि जन्म मानव का मिला है
दानव कर्म भी करने होंगे
पाप और पुण्य से आगे
मुझको कुछ कर भरने होंगे
कच्ची मिट्टी का घट हूँ
ईश्वर की कमज़ोर कृति हूँ
भारी मन से क्षमा दिवस पर
प्रिये! तुम्हारे समक्ष नति हूँ
क्षमा दान दे कर के मुझको
तुम भी अपने कर्म सजा लो
एक तनिक सी भिक्षा देकर
तुम अमरों का लोक ही पा लो
डॉ सेहबा जाफ़री🙏🙏🙏🙏 (उत्तम क्षमा)