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सोमवार, 17 जून 2013

सितारों से आगे जहाँ .....



सितारों से आगे जहाँ  और  भी हैं 
अभी इश्क़ के इम्तेहां और भी हैं 

तही ज़िन्दगी से नहीं ये फज़ाएँ  
यहाँ सैकड़ों  कारवां और भी हैं 

क़ना'अत न कर आलमे रंगों बू पर 
चमन और भी आशियाँ और भी हैं 

अगर खो गया एक नशेमन तो क्या गम
मुकामात- ए -आहो-फुगाँ और भी हैं 

तू ताईर है परवाज़ है काम तेरा 
 तिरे सामने आसमां  और भी हैं 

इसी रोज़ ओ शब् में उलझ कर न रह जा
कि तेरे ज़मान ओ मकां  और भी हैं 

गए दिन कि तन्हाँ था मै  अंजुमन में 
यहाँ अब मेरे राज़दां और भी हैं 

                                                             -अल्लामा मोहम्मद इक़बाल    

ताईर - पंछी , तही-ख़ाली , क़ना 'अत - संतुष्टि , मुकामात-इ-आहो-फुगाँ -रोने और आह भरने की जगह, ज़मान  ओ मकां -वक़्त और जगह , 

1 टिप्पणी:

बेईमान शायर ने कहा…

bahot sunder. share karne ke liye shukriya.