आवारगी
गुरुवार, 25 नवंबर 2010
तू तो मत कह हमें बुरा दुनिया
तूने ढाला है और ढले हैं हम
क्या हैं, कब तक हैं, किसकी खातिर है,
बड़े संजीदा मस'अलें हैं हम
रविवार, 14 नवंबर 2010
काश! वह् रोज़े-हशर भी आए!
तू!
मेरे हमराह खडा हो
सारी दुनिया पत्थर लेकर
जब् मुझको संगसार करे
तू अपनी बाहो मे छूपा कर
तब् भी मुझ् से प्यार करे
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